KAVITA JO KUCH KAHATI HAIN (HAR KAVITA KUCH KAHTI HAIN) # POEM TUTORIAL 2
कविता जो कुछ कहती हैं (हर कविता कुछ कहती हैं)
मेरे कुछ शब्द
जीवन की आपाधापी के समय
जीवन की आपाधापी में
कुछ भूल गया कुछ याद रहा,
कुछ दूर गए कुछ पास आए
जो अपने थे वो रूठ गए
कुछ गैरो सा नाता तोड गए।
न जाने समय कहा ले आया है,
जिसने अपनों को अपनों से दूर भगाया है।
कुछ वक्त मिला कुछ सोच लिया
जो करना था क्या सही किया
क्या बुरा किया क्या भला किया।
ना जाने क्यों रूठ गए
जो हमसे नाता तोड़ गए ,
कठिन समय आया मेरा
तब साथ मेरा वो छोड़ गए ।
तब वक्त सिखा गया
क्या करना हैं क्या कर जायेगा।
कठिन समय आया हैं
वो भी चला जायेगा ।
तभी चेतना जगी मेरी जो थी मरी हुई ,
तब खड़ा हुआ मैं दुनिया के मेले में
कुछ अपने दिखे कुछ गैर दिखे।
अपनो ने धक्का दिया
और गैरो ने ठोकर मारी ,
तब सोचा कहां आ गया
मैं किधर जाऊ क्या करूं ।
कोई सहारा मिला नही
फिर भी पैर मेरे रुके नही,
होगा अच्छा या बुरा ये समय बतलाएगा।
तब जीवन के आपाधापी में
न जाने समय कहां ले जायेगा।
हु असफल अभी,
फिर भी सफलता की उम्मीद जगी थी ।
तब इक कोने में मेरी मां दिखी
जो थी सोच में पड़ी
कि बेटा मेरा खोया हैं ,
वक्त उसे ने सिखाया हैं।
काम कर रहा अपना वो
न अपनो से नाता तोडा हैं।
वो सोच रही जब सफल होगा वो
तब भी न भूलेगा वो अपनो को ।
जीवन की आपाधापी में
वो वो भूल गए तो क्या हुआ ,
पर मैने याद रखा हैं अपनो को।
GAURAV TIWARI
M.Sc (cs),B.Ed
आज के इस टॉपिक में मैंने अपने कुछ बिचारो को लिखा हैं, जिसे कुछ पंक्तियों में सजोया हैं की आज के इस व्यस्त भरे जीवन में यदि कोई किसी से कुछ दिन तक बात नहीं कर पता तो वो रूठ जाते हैं या फिर ऐसा बोलते हैं की भूल गए बहुत दिनों बाद आई पर वो खुद नहीं करेंगे अपने आप बात पर ऐसा नहीं हैं किसी को याद करना उससे बात करना दोनों पक्षों से होता हैं। कठिन समय में साथ दे वही अपना होता है। आपका क्या विचार हैं?
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भारत की शान महाराणा प्रताप सिंह
मेवाड़ के राजपूत शासक महाराणा प्रताप सिंह के बारे में कौन नहीं जानता इक महान योद्धा शासक देश प्रेमी और महा स्वाभिमानी थे वे हल्दी घाटी के युद्ध के बाद उन्हें इतने कस्ट झेलने पड़े कि हरे घांस की रोती तक खानी पड़ी मन ने जो किया मैंने उनके बारे में वो लिख दिया :-
महाराणा प्रताप सिंह
खाली बैठा था कुछ सोच लिया,
मन में द्वन्द मचा एक कविता लिख लिया।
अपनों ने न राणा का साथ निभाया था ,
अरे भाई भी दुश्मन कहलाया था।
उस वीर का नाम सुन अकवर भी घबराता था ,
चढ़ चेतक तलवार उठा वो रण भूमी में जाता था।
हरे घांस की रोटी खाई न स्वाभिमान गवाया था ,
वीर मेवाड़ का वह महाराणा कहलाया था।
घोड़े सहित जिसने बहलोल खान को चीरा था ,
माणसिंह जिसके भाले सामने ढीला था।
20000 सेना लेकर हल्दी घाटी में लड़ा था ,
जयवंता सुत उदय सिंह का बेटा कहलाया था।
दुश्मन भी तारीफ करते थे ,
लेकिन सामने आने से डरते थे।
वीर नहीं महावीर था जिसे आज बुलाना हैं
सेना हैं तैयार समय महा संग्राम का आया हैं।
सेनापति सोया हुआ उसे आज जगाना हैं
मन में द्वन्द मचा एक कविता लिख लिया।
अपनों ने न राणा का साथ निभाया था ,
अरे भाई भी दुश्मन कहलाया था।
उस वीर का नाम सुन अकवर भी घबराता था ,
चढ़ चेतक तलवार उठा वो रण भूमी में जाता था।
हरे घांस की रोटी खाई न स्वाभिमान गवाया था ,
वीर मेवाड़ का वह महाराणा कहलाया था।
घोड़े सहित जिसने बहलोल खान को चीरा था ,
माणसिंह जिसके भाले सामने ढीला था।
20000 सेना लेकर हल्दी घाटी में लड़ा था ,
जयवंता सुत उदय सिंह का बेटा कहलाया था।
दुश्मन भी तारीफ करते थे ,
लेकिन सामने आने से डरते थे।
वीर नहीं महावीर था जिसे आज बुलाना हैं
सेना हैं तैयार समय महा संग्राम का आया हैं।
सेनापति सोया हुआ उसे आज जगाना हैं
समय बीतता जा रहा राणा को आज जगाना हैं।